पसे ईसू वाँकाऊँ क्यो, “ईं मारी वीं बाताँ हे, जद्याँ मूँ थाँके हाते रेते तके थाँकाऊँ क्यो हो। जतरी बाताँ मूसा के नेमा में अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन भजनाँ की किताब में मारा बारा में लिकी तकी हे, वीं हारी पुरी वेणीईस हे।”
आपाँ जाणा हाँ के, ईं धरती पे आपणी देह रूपी घर भगाड़ दिदो जाई पछे आपाँने परमेसर का आड़ीऊँ हरग में कदी नास ने वेबावाळो घर मली वो मनकाँ का हाताऊँ बणायो तको ने वेई।
तद्याँ में गादी में एक जोरकी अवाज हूणी। वाँ केरी ही के, “देको, अबे परमेसर को मन्दर मनकाँ का वसमें हे अन वीं वाँका वसमें घर बणान रिया करी। वीं वाँकी परजा वेई अन खुद परमेसर वाँका परमेसर वेई।