काँके जद्याँ आपाँ परमेसर का दसमण हा। तो परमेसर आपणाँ बेटा की मोतऊँ आपणो मेल-मिलाप खुदऊँ किदो। अन जद्याँ अबे आपणाँ मेल-मिलाप वेग्यो हे तो वाँका जीवनऊँ आपाँ काँ ने बंचाया जावा?
पछे कूण हे ज्यो आपाँने दोसी बतावे? काँके ईसू मसी आपणाँ वाते मरग्यो हो अन वींने पाछो जिवायो ग्यो। वोईस हे ज्यो परमेसर का जीमणा पाल्ड़े बेटो हे अन आपणाँ वाते अरज करे हे।
परमेसर अस्यान होच-हमजन ते कर राक्यो हो के, अणी दनियाँ का मनक आपणाँ ग्यानऊँ परमेसर ने ने जाण पाई, तो परमेसर ने ओ बड़िया लागो के, ईं तरिया परच्यार का जरिये ज्यो आपाँ कराँ हा, ज्यो परच्यार दनियाँ का मनकाँ की नजराँ में मुरकता हे, ईंपे विस्वास करबावाळा मनकाँ ने बचावे।
काँके विस्वास के बना परमेसर ने राजी ने किदा जा सके हे अन जद्याँ कुई परबू का नके आवे हे, तो वींने विस्वास करणो छावे के, वो हे, अन ज्यो वींने होदे हे, वो वींने फळ देवे हे।
पण आपाँ यो देकाँ हा के, वीं ईसू जाँने थोड़ीक टेम का वाते हरग-दुताऊँ रेटे कर नाक्या हा, अबे वींने मेमा अन आदर को मुकट पेरायो ग्यो हे, काँके वणी मोत को दुक जेल्यो हे। ताँके परमेसर की करपाऊँ हरेक मनक का वाते मोत को हवाद चाके।
ईसू अणी धरती का जीवन में ज्यो वींने बंचा सकतो हो, वणीऊँ जोरऊँ हाको करतो तको अन रोते तके अरज अन परातना किदी ही अन नमरता अन भगती का मस वींकी हुण लिदी गी ही।
अन जटा तईं याजक की बात हे तो, दसवो भाग भेळो करबावाळा याजक मनकाँ का जस्यानीस हे जीं मरे हे। पण मलिकिसिदक का बारा में सास्तर केवे हे के, वो अबाणू भी जीवतो हे।
काँके मसी हात का बणई तकी पुवितर जगाँ में ने ग्यो, ज्या जगाँ हाँची पुवितर जगाँ की नकल का जस्यान हे, पण हरग में ग्यो हे, ताँके आपणाँ वाते परमेसर का हामें पेरवई वेवे।