तद्याँ वाँ जान आपणाँऊँ ओरी हुगली हात आत्माने आपणाँ हाते ले आवे हे, अन वीं वींमें धसने वटे वास करे हे, अन वीं मनक की पाछली दसा पेल्याऊँ भी हुगली वे जावे हे। ईं जुग का हूँगला मनकाँ की दसा भी अस्यानीस वेई।”
“थाँ धरती का हाराई मनकाँ का वाते लूण हो, पण यद्याँ लूण को हवाद बगड़ जावे तो वो पाछो खारो ने बणायो जा सके हे। अन नेई वो कई कामे आवे हे पण वींने फेंक दिदो जावे, जणीऊँ वो मनकाँ का पगाँऊँ गुद्यो जावे।”
ईसू वींने जवाब दिदो, “यद्याँ थूँ परमेसर का दान ने जाणती, अन ओ भी जाणती वो कुई हे, ज्यो थाँराऊँ केवे हे, ‘मने पाणी पा’, तो थूँ वणीऊँ मांगती अन वो थने जीवन को जळ देतो।”
ईं दनियाँ को सेनापती ज्यो सेतान हे, वो वणा मनकाँ की अकल ने बन्द कर मेली हे जीं विस्वास ने करे हे। जणीऊँ वीं परमेसर का रूप में मसी ने अन वाँकी मेमावान उजिता का हव हमच्यार ने ने देक सके।
काँके परमेसर क्यो हो के, “अन्दारा में उजितो चमकी” अन वोईस आपणाँ हरदा में चमक्यो हे, जणीऊँ आपाँने ईसू मसीऊँ परमेसर की मेमा का वाते ग्यान को उजितो मल सके।
परमेसर जणा थाँने आत्मा दिदी हे अन थाँका बचमें अचम्बा का काम करे हे, कई वीं यो ईं वाते करे हे के, थाँ मूसा का नेमा को पालण करो हो कन ज्यो हव हमच्यार थाँ हुण्यो अन विस्वास किदो वींके मस करे हे?
अन थाँका मन की आक्याँ खुल जावे ताँके थाँने पतो चाल जावे के वा आस कई हे, जिंका वाते थाँने वणा बलाया हे। अन जणी हक ने वो आपणाँ हारई पुवितर लोगाँ ने देई, वो कतरो मोटो अन अनमोल हे।
थाँरा मयने ज्यो आत्मिक वरदान हे ज्यो थने वीं टेम मल्यो हो, जद्याँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा थाँरा माता पे आसिरवाद देबा का वाते हात मेल्यो हो, वीं वरदान का वाते बेपरवा मती वेज्ये।
जद्याँ कुई मनक खुद का भई ने अस्यान को पाप करतो देके, जिंको फळ अनंत मोत कोयने हे, पण वो परमेसरऊँ वींके वाते परातना करे तद्याँ परबू वींने मोत को दण्ड कोयने देई पण वाँकी परातना हुणन अनंत जीवन देई। पण मूँ वणा मनकाँ का वाते परातना करबा का वाते ने केऊँ, ज्यो अस्यान का पाप करे, जिंको फळ अनंत मोत हे।