16 मनक तो आपणाँऊँ कणी मोटा का होगन खावे हे अन वणीऊँ वाँके किदी तकी बात पाकी वेवे हे अन वणाके हाराई विवाद को फेसलो वेवे हे।
हो भायाँ, मूँ मनक का रिति-रिवाजऊँ केवूँ, यद्याँ दो मनकाँ का बचमें कस्यी बात पाकी वे जावे, तो वींने ने कुई टाळ सके अन ने वींमें कई कम कर सके अन ने बड़ा सके हे।
जद्याँ परमेसर अबरामऊँ वादो किदो हो, तद्याँ वणा खुदऊँ मोटो ओरी कुई ने हो, जिंका होगन खई सके। ईं वाते वणा आपणाँ खुद का होगन खान क्यो,