अन थाँका मन की आक्याँ खुल जावे ताँके थाँने पतो चाल जावे के वा आस कई हे, जिंका वाते थाँने वणा बलाया हे। अन जणी हक ने वो आपणाँ हारई पुवितर लोगाँ ने देई, वो कतरो मोटो अन अनमोल हे।
ईं वाते आवो, मसी की हिक की सरुआत की बाताँ ने छोड़न आपाँ पाका वेबा का वाते आगे बड़ता जावा। अन आपाँ सरुआत की हिक की नीम पाच्छी ने नाका, जस्यान के, मोत का आड़ी लेजाबावाळा कामाँऊँ मन फेरणो, अन परमेसर पे विस्वास करणो,