काँके अणा मनकाँ को मन गाटो वेग्यो हे, अणा वाँने कान्दड़ाऊँ हूणाणो बन्द वेग्यो अन वाँकाणी आपणी आक्याँ बन्द कर लिदी हे। ताँके कटे अस्यान ने वे जावे के, वाँकी आक्याँ देकती, कान्दड़ा हूणता, अन वाँका मनऊँ हमजता जणीऊँ वीं आपणाँ मन ने पापऊँ फेरन मारा नके आता अन मूँ वाँने बंचाऊँ।’”
पण जद्याँ थोड़ाक लोग नसेड़ा वेन वींकी बात पे विस्वास ने किदो अन लोगाँ का हामे परमेसर का गेला का बारा में भलो-बुरो केबा लागा। तो पोलुस वाँने छोड़ दिदा अन चेला ने लारे ले लिदा अन पछे हर-दन तुरनुस नाम की पाटसाला में बात-बच्यार करतो रियो।