थाँ होचो के, वो मनक कतरो दण्ड भोगी, जणी आपणाँ पगा का रेटे परमेसर का बेटा ने गूँन्दयो हे, अन वो वणी करार का पुवितर लुई जणीऊँ वो पुवितर किदो हो वो वींने एक अपुवितर मान्यो हे अन वणी दया करबावाळी आत्मा को भी अपमान किदो हे।
ईं वाते परमेसर पछे एक खास दन ने ठेरान अन वींको नाम दिदो, “आज” थोड़ाक वरा केड़े दाऊदऊँ परमेसर वीं दन का बारा में सास्तर में बतायो हे, जिंका बारा में पेल्याँ क्यो हो के, “यद्याँ थाँ आज परमेसर की अवाज हुणो, तो आपणाँ मन ने गाटो मती करज्यो।”