17 ईं वाते वींने हरेक बात में मनकाँ का जस्यानीस बणायो ग्यो हो, जणीऊँ वो परमेसर की सेवा करबा का वाते दया करबावाळो अन विस्वास जोगो मायाजक बणे। ताँके मनकाँ का पापाँ का मापी वाते बली हो सके।
काँके जद्याँ आपाँ परमेसर का दसमण हा। तो परमेसर आपणाँ बेटा की मोतऊँ आपणो मेल-मिलाप खुदऊँ किदो। अन जद्याँ अबे आपणाँ मेल-मिलाप वेग्यो हे तो वाँका जीवनऊँ आपाँ काँ ने बंचाया जावा?
परमेसर का हाराई घराणा में मूसो एक सेवा करबावाळा के जस्यान विस्वास के जोगो मान्यो ग्यो। वो वीं बात का वाते गवा हो, जीं परमेसर का आड़ीऊँ बोली जाबावाळी ही।
हरेक मायाजक मनकाँ मेऊँइस चुण्यो जावे हे ज्यो बाताँ परमेसर का वाते मनकाँ आड़ीऊँ किदी जावे हे, वाँ वाते वो ठेरायो जावे हे, ताँके भेंट अन पापबली चड़ाया करे।
काँके मूसा का नेम तो कमजोर मनकाँ ने मायाजक बणावे हे, पण वीं होगन जीं मूसा का नेमा के केड़े खादा ग्या हा, वणा बेटा ने मायाजक बणायो, ज्यो हमेस्या हमेस्या का वाते सिद बणग्यो।
हरेक मायाजक ने ईं वाते चुण्यो जावे हे के, वो भेंट अन बली दुई चड़ावे। अन ईं वाते अणी मायाजक का वाते भी ओ जरूरी हे के, वींका नके भी चड़ाबा का वाते कई वेवे।
पण मसी अणा हव हव चिजाँ को मायाजक बणन आयो हे। तो वीं हात का बणाया तका तम्बू में ने, पण अणीऊँ भी मोटा अन सिद तम्बू में सेवा करे हे। मतलब वो तम्बू अणी दनियाँ को भाग ने हे।