9 पछे जद्याँ आपणी देह का बापू भी आपाँने तापड़े हे अन आपाँ वाँकी इजत करा हा, तो पछे आपाँने आपणाँ आत्मिक बापू का क्या में भी रेणो छावे, जणीऊँ आपाँ जीवता रेवा।
ईसू वाँने क्यो, “कणी नगर में एक न्याव करबावाळो रेतो हो, ज्यो ने तो परमेसरऊँ दरपतो हो अन नेई कणी मनक की परवा करतो हो।
वणी नरी दाण तो वींकी ने मानी पण आकरी में मन में होच-बच्यार किदो, ‘मूँ कदी भी परमेसरऊँ ने दरपूँ हूँ अन नेई कणी मनक की परवा करूँ हूँ।
मनक देहऊँ देह ने जनम देवे हे पण वाँ पुवितर आत्माइस हे ज्या आत्मिक रूप में जनमे देवे हे।
पण, वो एक परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो अन जाणतो हो के, परमेसर वींने अस्यान बचन दिदो के, वो वींका बंसऊँ किंने भी एक जणा ने आपणी गाद्दी पे बेटाई।
काँके, अस्यान वे सकतो के, मूँ यो छातो के, मूँ मारा यहूदी भई-बेन अन मारा देस का मनकाँ का वाते खुद पे हराप लेन ले मसीऊँ अलग वे जातो।
बड़ाबा भी वाँकाऊँ सम्बधं राके हे अन मनक का रूप में मसी वाँका मेंईस जनम्याँ हा, ज्यो हाराई को परमेसर हे अन हमेस्यान धन्न हे। आमीन।
थाँ परबू का हामे हुदा-हादा बणो, जणीऊँ वो थाँने ऊसा करी।
ईं वाते खुद ने परमेसर का बंस में कर दो। सेतान को विरोद करो, तो वो थाँका हामेऊँ भाग जाई।
ईं वाते परमेसर का जोरवार हाताँ का रेटे नरम बणन रेवो, जणीऊँ वो थाँने सई टेम आबा में ऊसा करे।
पछे वीं हरग-दुत माराऊँ क्यो, “ईं वसन विस्वास करबा जोगा अन हाँचा हे। परबू परमेसर जी, आपणाँ आड़ीऊँ बोलबावाळा ने पुवितर आत्मा देवे हे, आपणाँ भगताँ ने, जीं अबाणू वेबावाळो हे, वींका बारा में केबा का वाते आपणो हरग-दुत खन्दावे हे।”