अणीऊँ माँ जाणा हाँ के, परबू की दरपणी कई हे, ईं वाते माँ लोगाँ ने हमजारिया हाँ के, वीं हाँच ने माने। परमेसर आपणाँ हाल-चाल जाणे हे अन मने पूरो विस्वास हे के, थाँ भी माकाँ बारा में हारोई जाणो हो।
पण आज जा धरती अन आकास आपाँ देकाँ हा, वींके आग्या का वजेऊँ वादीऊँ नास वेबा वाते ठमी तकी हे। ईंने वीं टेम का वाते ठाम मेली हे, जद्याँ तईं पापी मनकाँ को न्याव ने जावे अन वाँको नास ने कर दिदो जावे।