27 अन या बात, “एक दाण ओरी” ईं बात ने परगट करे हे के, रचना किदी तकी चिजाँ मेंऊँ हालबावाळी चिजाँ नास किदी जाई, जणीऊँ ज्यो चिजाँ हाली कोनी, बेस वींइस अटल रेई।
धरती अन आकास टळ जाई, पण मारो बचन कदी ने टळी।
काँके ओ जग घणी आसऊँ वीं टेम को वाट नाळरियो हे, जद्याँ परमेसर आपणी ओलाद परगट करी।
के, यो भी आपणाँ नास वेबाऊँ छुटकारो पान परमेसर की ओलाद की मेमामय आजादी में पांतीदार वे।
ज्यो ईं दनियाँ की चिजाँ को नफो लेरिया हे, वीं अस्यान रेवे के, वीं चिजाँ वाँके काम की ने हे, काँके दनियाँ अबे जस्यान हे वा खतम वे जाई।
परमेसर यो भी केवे हे, “हो परबू, जद्याँ दनियाँ की सरुवात वेरी ही, तो थाँ धरती की नीम नाकी, अन हरग थाँका हाताँ की कारीगरी हे।
काँके अटे आपणो कस्योई हेमस्यान रेवा वाते नगर ने हे, पण आपीं तो वणी नगर की वाट नाळरिया हे, ज्यो आबावाळो हे।
पण मसी अणा हव हव चिजाँ को मायाजक बणन आयो हे। तो वीं हात का बणाया तका तम्बू में ने, पण अणीऊँ भी मोटा अन सिद तम्बू में सेवा करे हे। मतलब वो तम्बू अणी दनियाँ को भाग ने हे।
हातवे दूत जद्याँ रणभेरी बजई, तो हरगऊँ जोरकी अवाज अई के, “अबे ईं धरती पे परबू अन वींका मसी को राज हे। अन वीं जुग-जुग तईं राज करी।”
पछे में एक नुवो हरग अन नुवी धरती देकी। काँके पेलो हरग अन पेली धरती खतम वेग्या हा अन समन्द भी अबे ने रियो हो।
अन वो वाँकी आक्याँ का आसूँ पुछ नाकी अन ईंका केड़े मोत ने रेई, अन ने होक, ने रोणो-धोणो, ने पिड़ा रेई, काँके पेल्याँ की बाताँ जाती री ही।”
ज्यो गादी पे बेट्या तको हे वणी क्यो, “देको, मूँ हारोई नुवो कररियो हूँ।” पछे पाछो वणी क्यो, “लिकी ले, काँके यो बचन विस्वास करबा के जोगो अन हाँचो हे।”