37 घणा के भाटा की ठोकन मार दिदा, घणा ने आरीऊँ चिरिया ग्या, वाँने तरवारऊँ मारिया अन बकरिया अन गारा की खाळ ओड़न अटने-वटने फरता फरिया, वीं कंगाळ की दसा में, कळेस में, दुक जेलता तका,
ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”
“ओ यरूसलेम, ओ यरूसलेम, थूँ ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने मार नाके हे अन ज्यो थाँरा नके आवे हे वाँका ने भाटा मारे हे। कतरी दाण में यो छायो हो के, जस्यान कूकड़ी आपणाँ बच्या ने आपणाँ फाकड़ा का रेटे भेळा करन राके हे, मूँ भी वस्यानीस थाँरा मनकाँ ने भेळा करूँ, पण थें यो ने छायो हो।
अस्यो एक भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो कई, जिंने थाँका बड़ाबा ने हतायो? वाँकाणी तो वाँने भी मार नाक्या, ज्याँकाणी नरई दनाँ पेल्याँईं वीं धरमी के आबा की घोसणा कर दिदी ही, जिंने अबे थाँकाणी छळ करन पकड़वा दिदो अन मार दिदो।
ईं तरियाँ मूँ मसी का आड़ीऊँ मारी कमजोरियाँ में, बेजत वेन में, दुक में, हताव में, तकलिप में, अबकी टेम में मूँ राजी रूँ हूँ। जद्याँ मूँ कमजोर वेवूँ हूँ, तद्याँईस मूँ जोरावर बणूँ हूँ।