38 पण मारा धरमी मनक विस्वासऊँ जीवता रेई, अन यद्याँ वीं वणी गेलाऊँ पाच्छा फरी जाई तो मारो मन वाँकाऊँ राजी ने वेई।”
“देको, यो मारो दास हे, जिंने में थरप्यो हे, मारो लाड़लो हे, जणीऊँ मूँ घणो राजी हूँ। मूँ मारी आत्मा वींमें राकूँ अन वो हाराई मनकाँ को न्याव करी।
पण आपणाँ में जड़ ने पकड़बा का मस वीं थोड़ाक दनईस रेवे हे, अन जद्याँ परमेसर पे विस्वास करबा की वजेऊँ मनक वाँकाऊँ हव वेवार ने राके अन हतावे तो वीं विस्वास करणो छोड़ देवे हे।
काँके हव हमच्यार बतावे हे के, परमेसर मनकाँ ने कस्यान आपणाँ वाते सई करे हे। ओ सरुवातऊँ लेन आकरी तईं विस्वास पे टक्यो तको रेवे हे। जस्यान के पुवितर सास्तर में लिक्यो तको हे के, “विस्वासऊँ धरमी मनक जीवतो रेई।”
पण आ बात तो परगट हे के, मूसा का नेमाऊँ कुई परमेसर में धरमी वण्यो ने रेई, काँके सास्तर केवे हे के, “धरमी मनक परमेसर का विस्वास का भरोस्येईस जीवतो रेई।”
जणा मनकाँ परबू ईसू ने अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने मारिया अन आपाँने हताया हाँ, अणीऊँ परमेसर घणा नाराज हे, काँके वीं हाराई का विरोद में हे।
पण आपाँ वाकामूँ ने हा, ज्यो पाच्छा फर जावे हे अन नास वे जावा, पण आपाँ तो विस्वास राकबावाळा हा, ताँके आपणाँ जीव ने बंचाबा।
थाँ धरमी मनकाँ ने दोसी बतान मार दिदा, जणा थाँको सामनो ने किदो हो।
मसी का दसमण आपणाँ मेंऊँस बण्या हा, पण हाँची में वीं आपणाँ हाते कोयने हे, काँके यद्याँ वीं आपणाँ हाते वेता, तो आपाँने छोड़ता कोयने। पण वणा आपाँने छोड़ दिदा जणीऊँ वीं आपाँने ओ बता सके के, वीं हाँची में आपणाँ मेंऊँ कोयने।