वाँकाऊँ मती दरपो, ज्यो बेस थाँने मार कर सके हे पण थाकी आत्माने नास ने सके हे, बेस वीं परमेसरऊँ दरपज्यो ज्यो सरीर अन आत्मा दुयाँ ने नरक में नाकन नास कर सके हे।
अबे देक परबू को हात थाँरा दयने आरियो हे। थूँ आन्दो वे जाई अन थोड़ाक दनाँ तईं दन को उजितो भी ने देक सेकी।” तरत वींने धुधळो दिकबा लागो अन अन्दारो पड़ग्यो, वो अटने-वटने हात लाम्बो करबा लागो के, कुई वींको हात पकड़न वींने चलावे।
अणीऊँ माँ जाणा हाँ के, परबू की दरपणी कई हे, ईं वाते माँ लोगाँ ने हमजारिया हाँ के, वीं हाँच ने माने। परमेसर आपणाँ हाल-चाल जाणे हे अन मने पूरो विस्वास हे के, थाँ भी माकाँ बारा में हारोई जाणो हो।