30 आपाँ वींने जाणा हाँ, जणी अस्यान क्यो हे के, “बदलो लेणो मारो काम हे अन मूँईस बदलो लेऊँ।” अन ईंका केड़े यो भी क्यो, “परबू आपणाँ लोगाँ को न्याव करी।”
मारा लाड़ला, कणीऊँ खुद बदलो मती लो, पण ईंने परमेसर का गुस्सा ने मोको दो, काँके सास्तर में लिक्यो हे के, “परबू क्यो, बदलो लेणो मारो काम हे, ईंको फळ मूँ देऊँ।”
ज्यो अदिकारी हे, वीं थाँके भलो करबा का वाते परमेसर को दास हे। पण यद्याँ थाँ बुरो करो हो तो वणाऊँ दरपो, काँके वणा यूँई तरवार ने लिदी हे। वीं परमेसर का दास हे, ज्यो बुरई करबावाळा पे वींका न्याव ने लावे हे।
काँके आपाँ ईं देह में रेन ज्यो भी भलो-बुरो काम कराँ हाँ, वींको फळ पाबा का वाते आपाँने मसी की न्याव-गादी का हामे जरुर ऊबा वेणो पेड़ी।