28 जद्याँ कुई मूसा का नेमाने मानबाऊँ नटे हे, तो वींके ऊपरे दया कोनी करी जावे अन दो कन तीन गवा की गवई देबा की वजेऊँ मार दिदो जावे हे।
यद्याँ वो ने हुणे, तो एक कन दो जणा ने आपणाँ हाते ओरी लेजा, ताँके हरेक बात दो कन तीन गवा का मुण्डाऊँ गवई दिदी जावे।
अन जस्यान थाँका नेमा में भी लिक्यो हे के, ‘यद्याँ दो जणा एक जस्यी गवई देवे, तो वाँ हाँची हे।’
काँके वणा मूसाऊँ क्यो हो, “में जिंपे करपा करबा की होचूँ, वींपे करपा करूँ। अन जिंपे भी बाळ करणो छावूँ, वींपे बाळ करूँ।”
ओ तीजो मोको हे जद्याँ मूँ थाँका नके आरियो हूँ। “ईं हारी बाताँ को फेसलो दो कन तीन गवा की गवई का केड़ेईस वेणो छावे।”
ध्यान राकज्यो, के थाँ वणी बोलबावाळा ने मती नकार ज्यो। काँके जणी धरती पे चेतावणी दिदी ही, वींने नकारन वीं बंच ने सक्या, तो यद्याँ आपाँ वींने नकार देवा, ज्यो आपाँने हरगऊँ चेतावणी देरियो हे, तो आपाँ कदी दण्डऊँ बंच ने सका।
अन हरग-दुत ज्यो हमच्यार दिदो हो, वो पको हे। अन क्यो ने मानबावाळा ने अन हरेक नेम तोड़बावाळा ने ठीक-ठीक दण्ड दिदो ग्यो।
अन ज्यो दया ने करे, वींको न्याव भी बना दयाऊँ वेई हे। पण दया पाप का दण्डऊँ बचावे हे।