वींका हाताँ में वींको हुपड़ो हे जणीऊँ वो धानऊँ हुंकला ने अलग करी अन आपणाँ खेत मेंऊँ होजा किदो तका गव भेळा करन, कोठा में भरी अन हुंकला ने वीं वादी में बाळी, ज्याँ कदी ने बजे हे।”
ध्यान राकज्यो, के थाँ वणी बोलबावाळा ने मती नकार ज्यो। काँके जणी धरती पे चेतावणी दिदी ही, वींने नकारन वीं बंच ने सक्या, तो यद्याँ आपाँ वींने नकार देवा, ज्यो आपाँने हरगऊँ चेतावणी देरियो हे, तो आपाँ कदी दण्डऊँ बंच ने सका।
थाँका होना-चाँदी के जंग लागग्यो। वणापे लाग्यो तको जंग थाँने दोसी ठेराई अन वादी की जस्यान थाँरी देह ने बाळी। पण थाँ तो आकरी दनाँ में रिप्या को ढेर लगायो हे।