कुई ने नट सके के, आपणाँ धरम को भेद कस्यो मोटा हे, वो ज्यो मनक का रूप में परगट व्यो, पुवितर आत्मा जिंने धरमी बतायो, अन हरग-दुत जिंने देक्यो, देसा देसा में वींको परच्यार करियो ग्यो, दनियाँ में वींपे विस्वास करियो ग्यो, अन मेमावान हरग में उठा लिदो ग्यो।
वाँ आस आपणाँ जीवन का वाते अस्यो लंगर हे ज्यो एक जगाँ पाको हे ज्यो हाली ने सके हे। अन आपणी आस का वजेऊँ आपाँ अस्यान का हा, मानो आपाँ परमेसर की वीं जगाँ में पराग्या, जटे मायाजकइस जा सके हे, ज्या परदाऊँ ढाकी तकी हे।
काँके मसी भी आपणाँ पापाँ का वाते दुक जेल्यो हो। ईंको मतलब ओ हे के, वो निरदोस हो तो भी वो आपणाँ पाप का वाते एक दाण मरग्यो, जणीऊँ वो आपाँने परमेसर का नके ले जावे। वो देह का रूप में तो मरग्यो, पण आत्मिक रूप में जिवायो ग्यो हे।
आपाँ कस्यान जाण सका हाँ के, आत्मा परमेसर का आड़ीऊँ हे के कोयने? ज्या भी आत्मा आ केवे हे के, “ईसू मसी मनक का रूप में ईं धरती पे आयो।” वाँ आत्मा परमेसर का आड़ीऊँ हे।
ईं दनियाँ में नरई भटकाबावाळा मनक हे। अन ज्यो भी मनक ईं बात ने, ने माने के, ईसू मसी ईं धरती पे मनक का रूप में आया। अस्या मनक धोको देबावाळा अन मसी का दसमण हे।