जीवन की रोटी जा हरगऊँ उतरी हे वाँ मूँईस हूँ। यद्याँ कुई अणी रोटी ने खाई, तो वीं हमेस्यान जीवता रेई अन ज्या रोटी मूँ दनियाँ का जीवन का वाते देवूँ, वाँ मारी देह हे। अणीऊँस दनियाँ का मनक जीवता रेवे हे।”
अन परमेसर का आड़ीऊँ थाँ ईसू मसी में हो, मसी ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ आपणाँ वाते ग्यान ठेरियो अन वींका वजेऊँ आपाँ परमेसर का हामे सई अन पुवितर मनक बण्या अन आपाँने छुटकारो मल्यो।
थाँ होचो के, वो मनक कतरो दण्ड भोगी, जणी आपणाँ पगा का रेटे परमेसर का बेटा ने गूँन्दयो हे, अन वो वणी करार का पुवितर लुई जणीऊँ वो पुवितर किदो हो वो वींने एक अपुवितर मान्यो हे अन वणी दया करबावाळी आत्मा को भी अपमान किदो हे।
ईसू अणी धरती का जीवन में ज्यो वींने बंचा सकतो हो, वणीऊँ जोरऊँ हाको करतो तको अन रोते तके अरज अन परातना किदी ही अन नमरता अन भगती का मस वींकी हुण लिदी गी ही।
ज्याँका वाते दूजाँ मोटा याजकाँ के जस्यान यो जरूरी ने हे के, वीं रोज पेल्याँ आपणाँ पापाँ का वाते अन पछे लोगाँ का पापाँ का वाते बली चड़ावे। वणी तो हमेस्या हमेस्या का वाते मनकाँ का पापाँ का वाते आपणाँ खुद ने बली कर दिदो।
आ बात हाँची हे तो मसी को लुई कतरो जोरावर वेई? जणी अनंत आत्माऊँ खुद ने निरदोस बली का रूप में हमेस्या वाते परमेसर के चड़ा दिदो। वींके अस्यान करबाऊँ अन वींके लुईऊँ आपाँने मोत का आड़ीऊँ लेन जाबावाळा करमाऊँ आपणाँ मन सुद कर करी, ताँके आपाँ जीवता परमेसर की सेवा कर सका।
यद्याँ अस्यान वेतो तो दनियाँ का रचनाऊँ लेन वींने आकोदाण दुक जेलणो पड़तो, पण अबे जुग का अन्त में वो एकीस दाण परगट व्यो हे, ताँके आपणाँ बलीदानऊँ पाप ने छेटी कर दे।
वस्यान मसी भी एक दाणइस नरई का पापाँ ने छेटी करबा का वाते बलीदान व्यो हे। वो अबे पापाँ ने छेटी करबा का वाते ने, पण ज्यो वींकी वाट नाळरिया हे वाँका छूटकारा का वाते दूजी दाण परगट वेई।
काँके मसी भी आपणाँ पापाँ का वाते दुक जेल्यो हो। ईंको मतलब ओ हे के, वो निरदोस हो तो भी वो आपणाँ पाप का वाते एक दाण मरग्यो, जणीऊँ वो आपाँने परमेसर का नके ले जावे। वो देह का रूप में तो मरग्यो, पण आत्मिक रूप में जिवायो ग्यो हे।
ईसू मसीइस हे, ज्यो आपणाँ नके पाणी को बतिस्मो लेबा अन आपणो लुई वेवाड़ ने आया, वीं खाली पाणी को बतिस्मो लेबा वाते ने आया, पण वो पाणी को बतिस्मो लेबा अन आपणो लुई वेवाड़ का वाते आया हाँ अन अणी बात की गवई परमेसर की आत्मा खुद देवे हे, काँके आत्माइस हाँची हे।