11 वी तो नास वे जाई, पण थूँ हमेस्यान बण्यो तको रेई। अन वीं हाराई गाबा के जस्यान जूना वे जाई।
धरती अन आकास टळ जाई, पण मारो बचन कदी ने टळी।
अन या बात, “एक दाण ओरी” ईं बात ने परगट करे हे के, रचना किदी तकी चिजाँ मेंऊँ हालबावाळी चिजाँ नास किदी जाई, जणीऊँ ज्यो चिजाँ हाली कोनी, बेस वींइस अटल रेई।
नवो करार करन वणी पेला करार ने बेकार ठेरायो हे अन ज्याँ चीज पुराणी अन बेकार वे जावे हे, वींको खतम वेणो जरूरी हे।
अवाज में अस्यान हमच्यार आरियो हो के, “जो कई भी थूँ देकरियो हे, वींने एक किताब का मयने लिकतो जा अन वींके केड़े वींने इपिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थुआतीरा, सरदीस, फिलोदेलफीया अन लिदिकिया की हातई मण्डळ्याँ ने खन्दा दिज्ये।”
“स्मुरना की मण्डली का दुताँ ने ओ लिक। ज्यो पेलो अन आकरी हे, ज्यो मरग्यो हो, पण पाछो जीवतो वेग्यो हे, वो अस्यान केवे हे के,
तद्याँ में मोटी धोळी गादी अन वींपे बेट्या तका ने देक्यो, वींके हामेऊँ धरती अन आकास भागग्या अन वाँको नामो निसाण मटग्यो।
पछे में एक नुवो हरग अन नुवी धरती देकी। काँके पेलो हरग अन पेली धरती खतम वेग्या हा अन समन्द भी अबे ने रियो हो।