5 काँके हाराई मनकाँ ने आपणोईस बोज तोकणो पड़े हे।
मनक को पूत आपणाँ हरग-दुत का हाते आपणाँ बाप की मेमा में आई, अन वीं बगत वीं हाराई ने वाँका करमा का जस्यान फळ देई।
बोवावाळो अन पाणी पाबावाळो दुई एक जस्या हे, पण हरेक मनक आपणाँ मेनत के जस्यान दानकी पाई।
ईं वाते जद्याँ तईं परबू ने आवे वणीऊँ पेल्याँ किंको भी न्याव मती करो। वीं तो अदंकार में हपी तकी बाताँ ने भी उजिता में दिकाई अन मना की बाताँ भी हामे लाई अन वणी दाण परमेसर का आड़ीऊँ हरेक की बड़ई वेई।
मूँ वींका बाळकाँ ने मार देऊँ, तो हारी मण्डली ओ जाण जाई के, मूँ मन अन बदी जाणबावाळो हूँ। अन मूँ थाँ हाराई ने थाँका कामाँ के जस्यान बदलो देऊँ।
ईसू क्यो, “हुणो, मूँ पगईं आबावाळो हूँ अन आपणाँ हाते थाँका वाते फळ लेन आरियो हूँ, जणी जस्या करम किदा हे वींने वींके करमा का जस्यान फळ देऊँ।