17 काँके देह का मरजी अन पुवितर आत्मा एक-दूँजा के खिलाप हे अन आपस में बेरी हे। ईं वाते ज्यो थाँ करणा छावो हो, वो ने कर सको हो।
“ज्यो मारा हाते ने हे वो मारो विरोदी हे, ज्यो मारो चेला वेबा का वाते मनकाँ ने भेळा ने करे हे, वो वाँने माराऊँ छेटी करबा को मस वेवे हे।
ईसू वाँने जवाब दिदो, “हो समोन, योना का पूत, थूँ धन्न हे, काँके थने आ बात कणी मनक ने क्यो, पण मारा बाप ने ज्यो हरग में हे, आ बात थाँरा पे परगट किदी हे।
ईसू पाच्छा फरन पतरसऊँ क्यो, “हे सेतान, मारा नकेऊँ छेटी वेजा! थूँ मारा वाते ठोकर को कारण हे, काँके थूँ परमेसर की बाताँ पे ने, पण मनकाँ की बाताँ पे मन लगावे हे।”
जागता रेवो, अन परातना करता रेवो के, ताँके थें जाँच-परक में ने पड़ो। आत्मा तो त्यार हे, पण सरीर दुबळो हे।”
धन्ने हे वी ज्यो धरम का काम करबा में आगता रेवे हे, परमेसर वाँकी मरजी पुरी करी।
पतरस वाँने क्यो, “ओ परबू जी, मूँ थाँका हाते जेळ जाबा का वाते नेईस ने, पण मरबा रे वाते भी त्यार हूँ।”
तो ईसू वाँकाऊँ क्यो, “अरे हुई काँ रिया हो? उटो अन परातना करो, ताँके थाँ परक में ने पड़ो।”
मनक देहऊँ देह ने जनम देवे हे पण वाँ पुवितर आत्माइस हे ज्या आत्मिक रूप में जनमे देवे हे।
काँके यद्याँ थाँ देह जस्यान जीवो, तो मरो, पण यद्याँ थाँ आत्मा का जस्यान देह की मरजी ने मार देवो, तो थाँ जीवता जीवो।
तो पछे ईंको कई मतलब हे, कई नेम परमेसर का वादा का हामे हे? कदी ने हे, काँके यद्याँ अस्या नेम दिदा जाता जीं जीवन दे सके हे। तो हाँची में नेमईस परमेसर का हामे धरमी बणाबा को सादन बण जाता।
काँके आपणाँऊँ नरी दाण चूक वेजावे हे, पण जो बोलवा में चूक ने करे, वोईस पाको मनक हे अन वो आपणी हारी देह पे लगाम लगा सके हे।