13 पण हो भायाँ, थाँने तो परमेसर आजाद वेवा के वाते बलाया हे, पण अणी आजादी ने थाँ आपणाँ सरीर का कामाँ ने पूरा करबा का वाते काम में मती लावो, पण परेम-भावऊँ एक दूजाँ की सेवा करो।
“परमेसर की आत्मा मारा ऊपरे हे। काँके वणा मने गरीब मनकाँ ने हव हमच्यार हूँणबा का वाते चुण्यो हे। वणीस मने खन्दायो हे के, मूँ केदयाँ ने छुड़ाबा को अन आन्दा ने देकबा का सन्देस को परच्यार करूँ अन दब्या तका मनकाँ ने ऊँसा उठऊँ।
जटा तईं मारी बात हे तो, मारा नके ज्यो कई भी हे, वींने थाँका वाते राजी वेन खरच करूँ अटे तईं के, मूँ खुद ने भी थाँका वाते दी देऊँ। यद्याँ मूँ थाँकाऊँ घणो परेम करूँ हूँतो थाँ कई माराऊँ कम परेम करो?
अन माँ खुद को परच्यार ने कराँ हाँ पण परबू का रूप में ईसू मसी को परच्यार कराँ हाँ अन माँ माकाँ बारा में तो अस्यान केवाँ हाँ के, माँ ईसू का मस थाँका दास हाँ।
पण थाँकी मण्डली में छानेऊँ अस्यान का मनक आग्या हे, ज्याँका बारा में सास्तर में पेल्याँई लिक्यो हे के, वाँने दण्ड मली, काँके वीं परमेसर ने कोयने जाणे हे। अणा मनकाँ परमेसर की दया ने खुद का वाते कुकरम करबा की छुट मान लिदी हे अन आपणाँ परबू जीं आपणाँ मालिक ईसू मसी हे वाँने मानबा का वाते नट जावे हे।