6 अन थाँ ज्यो परमेसर का बेटा-बेटी हो, ईं वाते परमेसर ने आपणाँ पूत की आत्माने थाँका हरदा में खन्दई, वाईस आत्मा “हो बापू, हो पीता” केन परमेसर ने हेलो पाड़े हे।
ईसू या बात पुवितर आत्मा का बारा में किदी ही, ज्या वींपे विस्वास करबावाळा ने मलबावाळी ही। अबाणू तईं या आत्मा किंने भी ने मली ही, काँके ईसू आलतरे आपणी मेमा उटाया ने ग्या हा।
पण यद्याँ हाँची में थाँकामें परमेसर की आत्मा वास करे हे तो थाँ देह की मरजी का जस्यान ने जीवो, पण आत्मा का जस्यान जीवो। यद्याँ किंमें ईसू मसी की आत्मा ने हे तो वो मसी को ने हे।
अन वीं परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा मसी की आत्माऊँ यो भी जाणे हे के, मसी पे दुक आबावाळो हे अन वणी दुक का केड़े वींकी मेमा भी वेई। वाँ आत्मा वाँने बतावे हे के, ईं बाताँ कदी वेई अन तद्याँ ईं दनियाँ को कई वेई।
तद्याँ मूँ वींकी जे-जेकार करतो तको वीं हरग-दुत का आगे धोक लाग्यो। पण वणी माराऊँ क्यो, “अस्यान मती करे! काँके मूँ तो थाँरो अन थाँरी हण्डाळ्याँ का हाते परमेसर को दास हूँ। जणापे ईसू मसी की गवई देबा की जिमेदारी हे। थूँ परमेसर के धोक लाग, काँके ईसू मसी की गवई आगेवाणी की आत्मा हे।”