तो जद्याँ में क्यो के, मूँ परमेसर को बेटो हूँ। तो थाँ क्यो, ‘मूँ परमेसर की नन्दयाँ करूँ हूँ।’ पण मूँ तो वोईस हूँ, जिंने परमेसर चुणन ईं दनियाँ में खन्दायो हे।
ईसू वाँने क्यो, “यद्याँ परमेसर थाँको बाप वेतो, तो थाँ माराऊँ भी परेम करता, काँके मूँ परमेसर का आड़ीऊँ आयो हूँ अन अटे हूँ। मूँ मारी मरजीऊँ ने आयो, पण मने वणा खन्दायो हे।
काँके ज्यो काम नेम मनकाँ का पापी हाव-भाव का मस कमजोर वेन ने कर सक्या, वो काम परमेसर किदो, मतलब ओ के, परमेसर आपणाँ बेटा ने आपणी जस्यान पाप की देह में आपणाँ पाप का वाते बली वेबा का वाते खन्दायो। जणीऊँ वो पापी देह में पाप ने दण्ड दिदो।
कुई ने नट सके के, आपणाँ धरम को भेद कस्यो मोटा हे, वो ज्यो मनक का रूप में परगट व्यो, पुवितर आत्मा जिंने धरमी बतायो, अन हरग-दुत जिंने देक्यो, देसा देसा में वींको परच्यार करियो ग्यो, दनियाँ में वींपे विस्वास करियो ग्यो, अन मेमावान हरग में उठा लिदो ग्यो।
आपाँ कस्यान जाण सका हाँ के, आत्मा परमेसर का आड़ीऊँ हे के कोयने? ज्या भी आत्मा आ केवे हे के, “ईसू मसी मनक का रूप में ईं धरती पे आयो।” वाँ आत्मा परमेसर का आड़ीऊँ हे।