23 पण ज्यो दासीऊँ पेदा व्यो, वो देह का रिति-रिवाजऊँ व्यो अन ज्यो वींकी घरकीऊँ व्यो, वो परमेसर का अबरामऊँ किदा तका वादा को फळ हो।
सास्तर केवे हे के, “बचन थाँरा नके हे, थाँरा होट पे हे अन थाँरा मन में हे।” वोईस विस्वास को बचन, जिंको आपाँ परच्यार कररिया हा।
वाँमें ओ लिक्यो तको हे के, अबराम के दो बेटा व्या, एक तो दासीऊँ अन दूज्यो वींकी घरकीऊँ ज्याँ गुलामी में ने ही।
विस्वासऊँ जद्याँ सारा बाँज ही तद्याँ भी वाँ भूड़ापाँ में गरबवती वीं, काँके वणा वादो करबावाळा परमेसर ने विस्वास जोगा मान्यो।