ज्यो मनक मारो विरोद करे हे वीं केवे हे के, “वींका कागद तो जोरदार अन नरोगा रूपऊँ लिक्या तका वेवे हे पण जद्याँ वो हामे आवे हे तो वो देह में कमजोर अन बोलबा में भी अतरो खास ने दिके हे।”
ओ हाँच हे के, वींकी कमजोरी की वजेऊँ वींने हूळी पे चड़ायो ग्यो पण वो परमेसर की तागतऊँ जीरियो हे। ओ हाँच हे के, मसी का मयने माँ भी कमजोर हाँ पण थाँकी भलई की वाते परमेसर की तागतऊँ वींके हाते जीवाँ हाँ।
मारे देह की कमज्योरी का मस मूँ थाँका पे बोज बण्यो तो भी थाँ मारो अपमान ने किदो अन ने मारा पे रिस्याँ बळ्या, पण मने परमेसर को हरग-दुत हमज मारी आवभगत किदी के, जस्यान मूँईस ईसू मसी हूँ।