जदी पतरस बोल्यो, “मूँ होगन खान हाँची केरियो। यद्याँ मूँ हाँची ने केरियो हूँ, तो परमेसर मने दण्ड दे। जिंके बारा में थाँकाणी बात कररिया हो, वीं मनक ने मूँ ने जाणूँ।”
हो मारा भायाँ, मूँ थाँकाऊँ अरज करूँ हूँ के, थाँने ज्या हिक मली, वींके खिलाप में थाँकामें फुट नाकबावाळा अन दूजाँ का विस्वास ने बगाड़बावाळाऊँ छेटी रेज्यो।
ईं वाते मूँ थाँने बतारियो हूँ के, ज्यो कुई परमेसर की आत्मा का आड़ीऊँ बोलबावाळा कुई भी ओ ने केवे के, “ईसू ने हराप लागे” अन ने कुई बना पुवितर आत्माऊँ के सके के, “ईसूइस परबू हे।”
पण ज्यो मनक मूसा का कामाँ का जस्यान चाली वीं हाराई मनक पाप का गुलाम रेई। काँके सास्तर में लिक्यो हे के, “ज्यो कुई मूसा का नेमा की किताब में लिकी तकी हारी बाताँ ने कोयने मानी, वींने हराप लागी।”