वणा ओ हुणन परमेसर की मेमा किदी, पछे वींऊँ क्यो, “हे भई, थूँ देकरियो हे के, यहूदियाँ मूँ करतईं हजार मनकाँ विस्वास किदो, अन हंगळाईं मूसा का नेमा का नेमा ने आका मनऊँ मानबावाळा हे।
मूँ एक यहूदी मनक हूँ, अन किलिकिया देस का तरसूस नगर में मारो जनम व्यो, पण अणी नगर में गमलियल मारसाब का अटे भण्यो जस्यान के, बापदादा की वेवस्ता ने बड़या तरियऊँ हिक्यो, अन परमेसर का वाते अस्यी धुन लगई ही, जस्यान थाँ आज लगई मेली हे।
वीं मने नरई पेल्याऊँ जाणे हे, यद्याँ वीं गवई देणा छावे, तो वे आ गवई दे सके के, मूँ सरुआतऊँ एक फरीसी वेन आपणाँ धरम का हंगळाऊँ खरा पन्त के जस्यान जीवन जियो हो।
हूँस्यार रेज्यो, कुई थाँने अकलऊँ अन धोकाऊँ आपणाँ गुलाम ने बणा ले, ज्यो मनकाँ का रिति-रिवाजऊँ अन दनियाँ की बाताँ के जस्यान तो हे, पण ईसू मसी के जस्यान कोयने।
अन जद्याँ थाँ वींने देक्यो ने हे, तो भी थाँ वाँकाऊँ परेम करो हो अन अबाणू भी वींने ने देक पारिया हो, तो भी थाँ वींपे विस्वास करन अस्यान राजी-खुसी वेवो हो के, जिंको बखाण ने किदो जा सके हे, जो मेमाऊँ भरियो तको हे।