“कुई भी मनक एक लारे दो मालिकाँ की सेवा ने कर सके हे, काँके वो एकऊँ दसमणी अन दूजाऊँ लाड़ राकी कन एकऊँ मल्यो रेई अन दूजाँ ने बेकार जाणी। थाँ परमेसर अन धन-दोलत दुयाँ की सेवा एक हाते ने कर सको हो।
काँके मूँ भी एक अस्या मोटा अदिकारी की दबियादारी में काम करूँ हूँ अन मारा रेटे भी सिपाई हे। जद्याँ मूँ एक सपईऊँ केवूँ हूँ, ‘जा’ तो वो चाल्यो जावे हे अन दूजाऊँ केवूँ, ‘आ’ तो वो आ जावे हे। मूँ मारा दासऊँ केवूँ के ‘यो कर’, तो वो वोईस काम करे हे।”
माँ आ बात मेपणोऊँ अन साप हरदाऊँ के सका हाँ के, माँ ईं दनियाँ का हाते अन खासतोरऊँ थाँका हाते परमेसर की दया के जस्यान चाल्या हा अन हव तरियाऊँ अन हाँच का हाते चाल्या हा ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ मले हे ईं दनियाँ की अकलऊँ ने मले हे।