15 अन पगाँ में मोचड्याँ पेरलो, ज्यो मेल-मिलाप का हव हमच्यार का परच्यार करबा ने त्यार वेबा के जस्यी हे
थें पगरख्याँ तो पेरज्यो, पण दो-दो कुरता हाते मती लेज्यो।”
पण, वींका बापू आपणाँ दासा ने क्यो, ‘फटाकऊँ हव गाबा लावो अन ईंने पेरावो अन ईंका हात में वीटी अन ईंका पंगा में बुट पेरावो।
अन हुणाबावाळा ने खन्दावाँ, तो वीं कस्यान हुणा सकी? जस्यान के सास्तर में लिक्यो हे, “हव हमच्यार हुणाबावाळा का पग करता हुवावणा हे।”