ओ धण्या, जस्यान मसी मण्डळीऊँ परेम राकन, वींने पाणी अन वसनऊँ धोन पुवितर बणाबा का वाते आपणाँ खुद ने बली कर दिदो। वस्यानीस थाँ भी आपणी-आपणी लुगायाऊँ परेम राको।
पछे जद्याँ आपणी देह का बापू भी आपाँने तापड़े हे अन आपाँ वाँकी इजत करा हा, तो पछे आपाँने आपणाँ आत्मिक बापू का क्या में भी रेणो छावे, जणीऊँ आपाँ जीवता रेवा।