25-26 ओ धण्या, जस्यान मसी मण्डळीऊँ परेम राकन, वींने पाणी अन वसनऊँ धोन पुवितर बणाबा का वाते आपणाँ खुद ने बली कर दिदो। वस्यानीस थाँ भी आपणी-आपणी लुगायाऊँ परेम राको।
जीवन की रोटी जा हरगऊँ उतरी हे वाँ मूँईस हूँ। यद्याँ कुई अणी रोटी ने खाई, तो वीं हमेस्यान जीवता रेई अन ज्या रोटी मूँ दनियाँ का जीवन का वाते देवूँ, वाँ मारी देह हे। अणीऊँस दनियाँ का मनक जीवता रेवे हे।”
ईं वाते थाँ आपणो अन आपणी हाराई गारा को ध्यान राको जिंने पुवितर आत्मा थाँका हात में हुप्याँ हे के, थाँ परमेसर की मण्डली की रुकाळी करो, ज्याँने परमेसर आपणाँ बेटा का लुईऊँ मोल लिदी हे।
मूँ अबे जीवतो कोयने हूँ, पण मूँ ईसू मसी में जीवतो हूँ अन मूँ अणी देह में जीवतो हूँ तो बेस ईसू पे विस्वास करबा का मस जीवतो हूँ, ज्यो परमेसर को बेटो हो अन वणी माराऊँ अतरो परेम किदो के, आपणाँ खुद ने मारा वाते दे दिदो।
अस्यानीस हो मोठ्याराँ, थाँ भी थाँकी लुगायाँ का हाते हमजदारी का हाते जीवन जीवो। लुगायाँ ने कमजोर हमजन वाँको आदर करो, ओ जाणन के, आपीं दुई जीवन का वरदान में पांतीदार हा, ताँके थाँकी परातना में कुई ओट ने आवे।
वीं एक नुवो गीत गाबा लागा हा के, “थाँ ईं किताब ने अन ईंपे लागी तकी मोराँ ने खोलबा जोगो हो, काँके थाँ बली चड़न थाँका लुईऊँ हाराई कुल का मनकाँ ने, हारी बोली बोलबावाळा ने, हारी जात्या का मनकाँ ने परमेसर वाते मोल लिदो हे।