हो विस्वासी भायाँ जद्याँ थाँ भेळा वेवो तो थाँने कई करणो छावे? थाँ तो जद्याँ भी भेळा वेवो हो तद्याँ थाँ भजन अन बचन, परमेसर का दरसण का बारा मेंईस बखाण करो हो। कुई अलग अलग बोली बोले हे अन कुई वीं बोली को मतलब बतावे हे। अन ईं हारी बाताँऊँ मण्डली आत्मिक रूप में गाटी वेणी छावे।
मसी का बचना ने आपणाँ हरदा में नराऊँ-नरा वसबा दो अन हाराई ग्यानऊँ एक दूजाँ ने हिकावो अन हेंचेत करता रेवो। थाँका हरदाऊँ परमेसर को धन्नेवाद करता तका भजन, बड़ई का गीत अन आत्मिक गीत गाता रेवो।
वीं एक नुवो गीत गाबा लागा हा के, “थाँ ईं किताब ने अन ईंपे लागी तकी मोराँ ने खोलबा जोगो हो, काँके थाँ बली चड़न थाँका लुईऊँ हाराई कुल का मनकाँ ने, हारी बोली बोलबावाळा ने, हारी जात्या का मनकाँ ने परमेसर वाते मोल लिदो हे।