थूँ वाँकी आक्याँ ने खोले अन वीं अंदाराऊँ उजिता का आड़ी, अन सेतान की सगतिऊँ परमेसर का आड़ी फरे ताँके वाँने पापाऊँ मापी मले अन परमेसर का चुण्या तका लोगाँ के हाते वीं भी बापोती में भेळा वेवे।’
हो मारा भायाँ, मूँ थाँकाऊँ अरज करूँ हूँ के, थाँने ज्या हिक मली, वींके खिलाप में थाँकामें फुट नाकबावाळा अन दूजाँ का विस्वास ने बगाड़बावाळाऊँ छेटी रेज्यो।
काँके ज्यो आपणाँ सरीर की बुरी मरजी के वाते वाँई, वो सरीर के वाते आपणाँ नास की हाँक काटी, अन ज्यो पुवितर आत्मा के वाते वाँई, वो आत्मा के वाते अनंतकाल का जीवन की हाँक काटी।
हो विस्वासी भायाँ, माँ थाँने परबू ईसू मसी में ओ आदेस देवा हा के, हरेक अस्या मनकाऊँ छेटी रेज्यो जीं आळकातक हे अन ज्या हिक माँ वाँने दिदी हे वींके जस्यान ने करे।
लोगाँ का माता पे आसिरवाद देबा का वाते हात मेलन वाँने परमेसर की सेवा में देबा का वाते आगत मती करज्ये। दूजाँ का पाप में भेळो मती वेज्ये, खुद ने खरो बणान राकज्ये।
परमेसर का हव हमच्यार को परच्यार कर, पलई ईंने हाराई मनक ने माने, पण ईंका केड़े भी थूँ ईंने पूरा मनऊँ करतो रे। थूँ लोगाँ ने सई कर अन वाँका पापाँ को वाँने ध्यान करान चेता। हातेई हाते वाँने उदास मती वेबा दे, वाँने सला देती दाण हमेस्यान धीरज राकज्ये।