ईसू वींने क्यो, “मारे हात मती लगा, काँके मूँ अबाणू बाप का नके ने ग्यो हूँ। पण, मारा भायाँ का नके जान वाँने के दे के, ‘मूँ मारा बाप अन थाँका बाप अन मारा परमेसर अन थाँका परमेसर का नके ऊपरे जारियो हूँ।’ ”
जीवन की रोटी जा हरगऊँ उतरी हे वाँ मूँईस हूँ। यद्याँ कुई अणी रोटी ने खाई, तो वीं हमेस्यान जीवता रेई अन ज्या रोटी मूँ दनियाँ का जीवन का वाते देवूँ, वाँ मारी देह हे। अणीऊँस दनियाँ का मनक जीवता रेवे हे।”
या हरगऊँ उतरी तकी रोटी हे, आ वणी मन्ना का जस्यान ने हे, जिंने आपणाँ बड़ाबा खादो, तद्याँ भी वीं मरग्या। पण ज्यो कुई या रोटी खाई, वीं हमेस्यान जीवता रेई।”
ईसू वाँने क्यो, “मूँ मारी गवई पलई देवूँ, पछे भी मारी गवई मानबा जोगी हे, काँके मूँ जाणूँ हूँ के, मूँ कटाऊँ आयो हूँ अन कटे जाऊँ। पण थाँ ने जाणो हो के, मूँ कटाऊँ आयो हूँ अन कटे जाऊँ।
पण आपाँ यो देकाँ हा के, वीं ईसू जाँने थोड़ीक टेम का वाते हरग-दुताऊँ रेटे कर नाक्या हा, अबे वींने मेमा अन आदर को मुकट पेरायो ग्यो हे, काँके वणी मोत को दुक जेल्यो हे। ताँके परमेसर की करपाऊँ हरेक मनक का वाते मोत को हवाद चाके।