28 ज्यो चोरी करतो आरियो हे, वो अबे कदीई चोरी ने करे, पण ईंका बदले वींने स्यवकार वेन खुद की मेनतऊँ काम करणो छावे। ईंऊँ वो जिंने जरूत हे वींने भी दे सके।
जक्कई ऊबो वेन परबूऊँ क्यो, “ओ परबू जी, देको, मूँ मारी कमई को आदो हिस्सो गरीब-अनाता ने देवूँ हूँ अन यद्याँ किंको भी मन दुकान लिदो हे, तो वींने च्यार-गुणो पाछो दी देवूँ।”
वाँकाणी या बात ईं वाते ने की के, वींने गरीबा की चन्ता ही। पण ईं वाते क्यो, काँके वो चोर हो। वाँका नके वाँके रिप्या की नोळी ही अन वो वींमेंऊँ रिप्या काड़ लेतो हो।
यहूदा का नके रिप्या की नोळी रेती ही। ईं वाते वाँकाणी यो हमज्या के, ईसू वणीऊँ केरियो हे के, ज्यो कई आपाँने तेवार के वाते छावे वो मोल लिले कन पछे गरीबा ने कई दिदे।
मारा केवा को ओ मतलब हे के, वणा मण्डळ्याँ का मनकाँ ने परक्या ग्या हा, तद्याँ भी वीं राजी हा अन वीं गरीब वेता तका भी वीं देबा का मामला में खुला मनऊँ दिदो।
आ हाँची बात हे। मूँ छावूँ हूँ के, अणी मामला में थूँ खासतोर जोर देन के, जणीऊँ परमेसर पे विस्वास करबावाळा भला काम करता रेवे। ईं बाताँ मनकाँ का वाते हव अन नफा की हे।