17 मूँ ईं वाते ओ केवूँ हूँ अन परबू का नाम में थाँने हेंचेत करूँ हूँ के, ज्यो विस्वास ने करे हे वाँके जस्यान अबे कदी भी जीवन ने जीवो, जिंको बच्यार कई काम को ने हे।
“हो लोगाँ, थाँ ओ कई कररिया हो। माँ भी थाँके जस्यानीस मनक हाँ, अन थाँने हव हमच्यार हुणाबा आया, ताँके थाँ अणा फोगट की चिजाँऊँ छेटी वेन जीवता परमेसर के आड़ी आवो, जणी हरग, धरती, समन्द अन जो कई अणामें हे वणीस बणाया हे।
हो भायाँ, मूँ थाँने बताऊँ हूँ के, आपणी आ देह ज्यो माँस अन लुईऊँ बणी तकी हे परमेसर का राज में भेळी ने वे सके हे अन ने ज्यो नास वेबावाळी या देह हे, वाँ ज्यो अमर हे वींमें भेळी वे सके हे।
पण मारे केबा को मतलब यो हे के, ज्यो बात परमेसर पेल्याँई पाकी कर दिदी हे, वींने चारस्ये तीस वर का केड़े मूसा का नेम आन वींने टाळ ने सके हे। अन नेई वणी वादा ने बेकार ठेरा सके हे।
कुई मनक दया को दिकावो करन हरग-दुताँ की पुजा करन थाँने थाँका फळऊँ छेटी ने कर दे। अस्यान मनक देकी तकी बाताँ में लाग्या तका रेवे, अन आपणी दनियादारी की हमज ने बेकार में फुलावे अन बड़ावे हे।
ईं बात में कुई भी आपणाँ भई नेईस ने ठगे अन ने कुई किंको नफो लेणो छावे। काँके परबू आ हारी बाताँ को बदलो लेबा में हे, अणा बाताँ का बारा में माँ थाँने पेल्याँई बता दिदो अन चेताया भी हाँ।
मूँ थने परमेसर, मसी ईसू अन पुवितर हरग-दुत की मोजुदगी में केवूँ हूँ के, थूँ खुला मनऊँ अणा आदेस ने मानज्ये अन ज्यो कई भी थूँ करे, वींने बना पकसपात के करज्ये।
ईं मनक बेकार में मेपणा की बाताँ करन कुकरम की कामाँ के वजेऊँ वणा मनकाँ ने जीं अबे भटक्या तका मनक मेंऊँ निकाळणो छारियो हे वाँने देह की मनसा में फसा लेवे हे।