पसे ईसू वाँकाऊँ क्यो, “ईं मारी वीं बाताँ हे, जद्याँ मूँ थाँके हाते रेते तके थाँकाऊँ क्यो हो। जतरी बाताँ मूसा के नेमा में अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन भजनाँ की किताब में मारा बारा में लिकी तकी हे, वीं हारी पुरी वेणीईस हे।”
अन पछे वाँ दुई जणा क्यो, “ओ गलील का रेबावाळा, थाँ अटे ऊबा-ऊबा आकास में काँ देकरिया हो? वीं ईसू, जीं आज अटूँ हरग में पराग्या वस्यानीस, एक दन थाँ वाँने पाच्छा हरगऊँ आता तका देको।”
ईसू परमेसर का जीमणा पाल्डे आपणो हंगळाऊँ ऊसी जगाँ बिराजो अन जस्यान परमेसर वादो किदो वस्यान पुवितर आत्मा पई। वाईस पुवितर आत्मा आपणाँ ने दे दिदी, जिंका बारा थाँ देकरिया अन हुणरिया हो।
मूँ मसी में एक मनक ने जाणूँ हूँ, मूँ ने जाणूँ पण परमेसरइस जाणे हे। वींने चवदा वर पेल्याँ देह हमेतइस कन देह का बना हरग की तीजी ऊसी जगाँ में उठा लिदो ग्यो हो।
कुई ने नट सके के, आपणाँ धरम को भेद कस्यो मोटा हे, वो ज्यो मनक का रूप में परगट व्यो, पुवितर आत्मा जिंने धरमी बतायो, अन हरग-दुत जिंने देक्यो, देसा देसा में वींको परच्यार करियो ग्यो, दनियाँ में वींपे विस्वास करियो ग्यो, अन मेमावान हरग में उठा लिदो ग्यो।