कई थाँ ने जाणो हो के, थाँकी देह पुवितर आत्मा को मन्दर हे, ज्यो थाँकामें बसी तकी हे अन थाँने परमेसर का आड़ीऊँ मली हे अन वाँ थाँकी खुद की ने हे। थाँ खुदऊँ ने पण परमेसर का हो।
परबू का मन्दर को मूरत्याऊँ कई वेवार? काँके आपाँ खुदईस जीवता परमेसर का मन्दर हा, जस्यान वणा खुदईस क्यो हो, “मूँ वाँका में वास करिया करूँ, वाँका में चालूँ-फरूँ। मूँ वाँको परमेसर वेऊँ अन वीं मारा मनक वेई।
अन ज्यो भी मनक परमेसर को आदेस माने हे वींका में परमेसर को वास रेवे हे अन वो मनक परमेसर में बण्यो तको रेवे हे। अन पुवितर आत्मा की वजेऊँ ज्या आपाँने दिदी गी, वणीऊँ ओ जाण सका हाँ के, आपणाँ मयने परमेसर को रेवास हे।
जस्यान को परेम परमेसर आपाऊँ राक्यो हे वींने आपाँ जाणा हाँ अन आपाँ वींमें विस्वास भी किदो हे। परमेसरइस परेम हे। ज्यो भी मनक परेम करे हे वो वींमें बण्यो तको रेवे हे अन परमेसर वींमें वास करे हे।