“अस्यानीस एक लुगई हे अन जिंका नके दस चाँदी सिक्का वे अन वाँका मूँ एक गम जावे, तो वाँ दिवो बाळन अन घर में बुवारो काड़न जद्याँ तईं मल ने जावे तद्याँ होदती रेवे।
पण ज्यो वींपे विस्वास ने करे, वीं वींको नाम कस्यान लेई? अन जणा वींके बारा में हुण्यो भी ने हे, वीं वींपे विस्वास कस्यान करी? अन जद्याँ तईं वाँने कुई उपदेस देबावाळो ने वेवे तो वीं कस्यान हुण सकी?