पछे मनक को पूत दूजाँ का जस्यान खातो-पितो आयो अन वीं केवे हे के देको, ‘यो खवगड़्यो अन दारुड़्यो हे, कर लेबावाळा को अन पाप्याँ को गोटी हे।’ पण परमेसर का ग्यान पे चालबावाळा आपणाँ करमाऊँ वींको ग्यान हाँचो साबत वेवे हे।”
पण परमेसर को वरदान आदम का पाप का जस्यान को ने हो। वरदान तो वणीऊँ घणी मान हे। एक मनक आदम का पाप की वजेऊँ घणा मनकाँ की मोत वीं हे, पण एक मनक ईसू मसी की दया की वजेऊँ मल्यो परमेसर की दया को वरदान घणा मनकाँ का वाते भरपूर हे।
परमेसर ज्यो कई करी आपणी मन की मरजी अन ते किदी तकी बात के जस्यान करी अन परमेसर आपाँने खुद का मकसद के जस्यानीस वाँके खुद की परजा बणबा का वाते ईसू मसी का हाते गट-जोड़ करन चुण्या हा, जिंने वणा पेल्याई ते कर मेल्यो हो।