“थाँ धरती का हाराई मनकाँ का वाते लूण हो, पण यद्याँ लूण को हवाद बगड़ जावे तो वो पाछो खारो ने बणायो जा सके हे। अन नेई वो कई कामे आवे हे पण वींने फेंक दिदो जावे, जणीऊँ वो मनकाँ का पगाँऊँ गुद्यो जावे।”
मसी का बचना ने आपणाँ हरदा में नराऊँ-नरा वसबा दो अन हाराई ग्यानऊँ एक दूजाँ ने हिकावो अन हेंचेत करता रेवो। थाँका हरदाऊँ परमेसर को धन्नेवाद करता तका भजन, बड़ई का गीत अन आत्मिक गीत गाता रेवो।