8 हूँस्यार रेज्यो, कुई थाँने अकलऊँ अन धोकाऊँ आपणाँ गुलाम ने बणा ले, ज्यो मनकाँ का रिति-रिवाजऊँ अन दनियाँ की बाताँ के जस्यान तो हे, पण ईसू मसी के जस्यान कोयने।
तद्याँ इपिकुरी अन स्तोकी का थोड़ाक अकलमन्द मनक वींकाऊँ आपणी बात-बच्यार किदी अन क्यो, “ओ बेण्डो कई केणो छारियो हे”। पण दूजाँ क्यो “ओ दूजाँ देवी-देवताँ का बारा में बतावे हे”। वे अस्यान ईं वाते केरिया हा, काँके वो ईसू का बारा में अन वींके पाछो जीवतो वेबा को हव हमच्यार हुणारियो हो।
हो मारा भायाँ, मूँ थाँकाऊँ अरज करूँ हूँ के, थाँने ज्या हिक मली, वींके खिलाप में थाँकामें फुट नाकबावाळा अन दूजाँ का विस्वास ने बगाड़बावाळाऊँ छेटी रेज्यो।
अन माँ वणा ओजाराँऊँ लोगाँ का गुमानऊँ भरिया तका सवाला अन बाताँ ने ज्यो परमेसर का ग्यान का विरोद में वेवे हे, वाँने बंस में करन मसी की आग्या में लावाँ हाँ।
पण अबे तो थाँ परमेसर ने जाणग्या हो अन परमेसर थाँने ओळक लिदा हे, तो थाँ दनियाँ की कमजोर अन हूंगळी बाताँ का आड़ी पाच्छा काँ जावो हो? अन थाँ पाच्छा काँ वींका दास बणणा छारिया हो?
थाँ पेल्याँ दनियाँ का हूँगला नेमा पे चालता हा। अन वीं वादळा की आत्मिक सगत्याँ का राजा ने मानता हा, ज्यो आत्मा लोगाँ ने अबे परमेसर को मान ने करबा का वाते मजबूर करती ही।
कुई मनक दया को दिकावो करन हरग-दुताँ की पुजा करन थाँने थाँका फळऊँ छेटी ने कर दे। अस्यान मनक देकी तकी बाताँ में लाग्या तका रेवे, अन आपणी दनियादारी की हमज ने बेकार में फुलावे अन बड़ावे हे।
हरग-दुताँ की पुजा करणी, आपणी देह ने दुक देणो, दिकावा की दया अन मनकाँ का बणाया तका जूटा नेम, ईं हाराई ग्यान की बाताँ तो लावे हे, पण देह की बुरी मरजी ने रोकबा का वाते अणाऊँ कई नफो ने वेवे हे।
अलग अलग तरियाँ का अणजाणी हिकऊँ भटको मती, काँके थाँका मन का वाते यो हव के, वो खाबा-पिबा की नेमा का बजाए दयाऊँ मजबूत बणे। अन जणा खाबा-पिबा का नेमाने मान्याँ वणाऊँ वाँको कदी भलो कोनी व्यो।
ईं वाते हो भायाँ, थाँ पेल्याँऊँ अणा बाताँ ने जाणो हो, ईं वाते थाँ ध्यानऊँ रेज्यो, ताँके थाँ पापी मनकाँ की बाताँ में आन वाँकी बुरी चाला में ने फसन आपणाँ गाटापणा ने खोवो।