8 वणी माँने भी ज्यो परेम पुवितर आत्मा थाँने दिदो हो वींने बतायो।
ज्यो कई भी छाने हे, वींने परगट किदो जाई अन ज्या भी चीज ढाँकी तकी हे, वींने चोड़े किदी जाई।
हो मारा भायाँ, मूँ परबू ईसू मसी अन आत्मा का परेमऊँ थाँकाऊँ अरज करूँ हूँ, मारा वाते परमेसरऊँ परातना करता तका, मारी आत्मिक लड़ई में मने जेलो दो।
अन आ आस आपाँने निरास ने वेबा दे, काँके पुवितर आत्मा ज्यो आपाँने ज्यो दिदी गी हे, वींकाऊँ परमेसर को परेम आपणाँ मन में उन्दायो जावे हे।
पण आत्मा का फळ परेम, आणन्द, मेल-मिलाप, करपा, भलई, दया, धीरज,
काँके माँ मसी ईसू पे थाँको विस्वास अन हंगळा विस्वासी लोगाऊँ थाँका परेम का बारा में हुण्यो हे।
काँके परमेसर आपाँने दरपणी के बजाय तागत, परेम अन खुद ने बंस में राकबा की आत्मा दिदी हे।
अबे जद्याँ थाँ हाँच ने मानता तका, हाँचा भईचारा का परेम ने बताबा का वाते आपणी आत्माने पुवितर कर लिदी हे, ईं वाते थाँ एक-दूँजा में पुवितर मनऊँ परेम करबा की मनसा बणालो।