19 “ओ सगती मने भी दो, ताँके मूँ जिंपे भी हात मेलू, वींने पुवितर आत्मा मले।”
थाँ ज्यो एक-दूजाऊँ मान छावो हो अन वो मानज्यो खाली परमेसर का आड़ीऊँ मले हे, वींकी थाँने कई परवा ने हे। तो थाँ मारा पे कस्यान विस्वास कर सको हो?
जद्याँ परतस अन यहुन्ने वाँका पे हात मेल्यो तद्याँ पुवितर आत्मा वाँने मली।
जद्याँ समोन देक्यो के, थरप्या तका का हात मेलबाऊँ पुवितर आत्मा मल जावे, तो वाँका नके रिप्या लान क्यो,
पतरस वींने क्यो, “थाँरा रिप्या थारी लारे ईं नास वे जाई, काँके थें परमेसर को वरदान रिप्याऊँ मोल लेबा को बच्यार किदो।
में एक कागद मण्डली ने भी लिक्यो भी हो, पण दियुत्रिफेस ज्यो नेतो बणणो छावे हे, वो माँ ज्यो कई केवा हाँ, वींने ने माने।