काँकरा वाळी जगाँ का बीज वणा मनकाँ का जस्यान हे के, जद्याँ वी हुणे, तो वी आणन्द का हाते परमेसर की वाणी ने माने हे। पण वीं जड़ ने पकड़वा का मस थोड़ीक दाण विस्वास करे हे अन परक की दाण वी भाग जावे हे।
काँके परमेसर माराऊँ लाड़ राके हे अन ज्यो ज्यो काम वो खुद करे हे, वीं हाराई मने बतावे हे अन वो अणीऊँ भी मोटा-मोटा ने मने करबा का वाते देई। तद्याँ थाँ देकन अचम्बो करो।
लोग-बागाँ वींने ओळक लिदो के, ओ तो वोईस मनक हे, जो मन्दर का सुन्दर नाम का बाना पे बेटन भीक मांगतो हो। वींका पे जा करपा व्यी, वीं बात पे वे अचम्बा अन हक्का-बक्का रेग्या।