जद्याँ वीं दन पूरा वेग्या तो माँ वटूँ चाल पड़या, अन वटा का हंगळा मनक अन वाँकी लुगायाँ अन छोरा-छोरी माँने नगर का बारणे तईं मेलवा आया, अन समन्द का कनारे माँ हंगळा गोडा टेकन परातना किदी।
अन वाँने दिकबा का केड़े वीं पानस्येऊँ हेला विस्वासी भायाँ ने जद्याँ वीं एक हाते हा, वाँने दिक्यो अन वणा मेंऊँ नरई तो अबाणू तईं जीवता हे, पण कुई तो सांत वेग्या।
अन केई के, “अरे कई व्यो ईसू मसी के पाच्छे आबा का वादा को? काँके आपणाँ बड़ाबा तो मरग्या। अन जद्याँऊँ ईं धरती की रचना वीं हे, तद्याँऊँ आ धरती वस्यान की वस्यान चालती आरी हे।”