57 ईं बात पे वाँकाणी हाका-भार करन आपणाँ कान्दड़ा में आँगळी दे दिदी अन पछे वे हारई जणा एक लारे वींपे टूट पड़्या।
अणी मनक ने यहूदियाँ पकड़न मारणो छाया, पण जदी में जाण्यो के ओ रोमी हे, तो में वटे सपायाँ का लारे जान ईंने वाकाँऊँ छुड़ा लिदो।
जद्याँ यहूदी मोटी सबा का लोग ओ हुण्यो तो, वीं रीस में आन राता-पीळा वेग्या अन दाँत पीसबा लागा।
तो वणा क्यो, “देको, मूँ देकरियाऊँ के, हरग खुल्यो तको हे अन मनक को पूत परमेसर के जीमणा पाल्डे ऊबो हे।”
वे वींने धक्का-मुक्की देता तका नगरऊँ बारणे लाया अन वींपे भाटा फेंकबा लागा। वीं दाण गवायाँ आपणाँ जब्बो उतारन साउल नाम का मनक के पगाँ में मेल दिदा।