49 “‘परबुजी केवे, हरग मारो आसन अन धरती मारा पगाँ को बाजोट्यो हे। मारा वाते थाँ कस्योक घर बणावो? अन अस्यी कस्यी जगाँ हे जटे मूँ रियाम्बो ले सकूँ?
ज्यो हरग की होगन खावे हे, वो परमेसर की गाद्दी का अन वींपे बिराजबावाळा का भी होगन खावे हे।
ईंपे ईसू चेला ने क्यो, “थें अणी मेड़ी ने देकरिया हो? मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ, अटे एक भाटा पे दूज्यो भाटो टक्यो ने रेई, एक-एक भाटो हड़ा दिदो जाई।”
ईसू वींने क्यो, “हे लुगई, मारी बात पे विस्वास कर के, वाँ टेम आरी हे के, थाँ मनक ने तो ईं मंगरा पे बापू परमेसर की आरादना करो अन नेई यरूसलेम में।
ज्यो भी जिती मूँ वींने मारी हाते मारा गादी पे बेवाड़ऊँ। वस्यानीस जस्यान मूँ जित्या केड़े मारा बापू की गादी पे बेट्यो हूँ।